...

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मैं बस स्टैंड में।
स्कूल बस्ते की बजाए भीख का कटोरा था हाथ में,
सर्दी के दिनों में दो कपड़े पहने आधी रात में,
लगता है पहली दफा भेजा मांगने तभी डरा-डरा था।
••एक दिन जब मैं बस स्टैंड में खड़ा था।
बदमाशों की बस्ती थाना कहें तो बड़ी बात नहीं,
वहां का माहौल ही ऐसा किसी के कुछ हाथ नहीं,
तुम रुतबा देखो तो एक से एक बड़ा था।
••एक दिन जब मैं बस स्टैंड में खड़ा था।
अपने-अपने हिसाब से सब थोड़ा बहुत झेल रहे हैं,
दौर ही ऐसा है ना समझ भी यहां ज्ञान पेल रहे हैं,
हर एक ने मुद्दों के हिसाब से डंडे में झंडा जड़ा था।
••एक दिन जब मैं बस स्टैंड में खड़ा था।