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किस्मत के पन्ने
शायद कांपते हाथों से लिखा था
नसीब मेरा उस रब ने..
कि हर मोड़ पर मैं गिरता फिरता हूँ...
किस्मत हँसी देकर, बार बार रोना दे जाती है..!
मोहब्बत की राह में चला था मैं,
पहली बार तो था मिला था जज़्बाती दिल..
उसके बाद तो अब
सारी दुनिया खिलौना दे जाती है!
करूँ रब से शिकायत मैं,
या कह दूँ कुसुरवार उसको,
क्यों सबकी किस्मत,
एक जैसी नहीं लिखी जाती है..!
© deep_k_lafz
नसीब मेरा उस रब ने..
कि हर मोड़ पर मैं गिरता फिरता हूँ...
किस्मत हँसी देकर, बार बार रोना दे जाती है..!
मोहब्बत की राह में चला था मैं,
पहली बार तो था मिला था जज़्बाती दिल..
उसके बाद तो अब
सारी दुनिया खिलौना दे जाती है!
करूँ रब से शिकायत मैं,
या कह दूँ कुसुरवार उसको,
क्यों सबकी किस्मत,
एक जैसी नहीं लिखी जाती है..!
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