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पहली सी है...
शोख, शैतान है वो थोड़ी कमली सी है
कुछ भी बदला नहीं वो बिल्कुल पहली सी है..
अब भी बुनती है वो वैसे ही बातों से बातें
शरारत से वही लबरेज पहले सी आंखें
मुझसे पूछे है के दिल अब भी क्युं धड़के है ये
सालहा साल हुए, क्युं अब भी ना थकते हैं ये
अब भी ज़ज्बात वही सीने में लिए पगली सी है
कुछ भी बदला नहीं वो बिल्कुल पहली सी है
© Rajnish Ranjan
कुछ भी बदला नहीं वो बिल्कुल पहली सी है..
अब भी बुनती है वो वैसे ही बातों से बातें
शरारत से वही लबरेज पहले सी आंखें
मुझसे पूछे है के दिल अब भी क्युं धड़के है ये
सालहा साल हुए, क्युं अब भी ना थकते हैं ये
अब भी ज़ज्बात वही सीने में लिए पगली सी है
कुछ भी बदला नहीं वो बिल्कुल पहली सी है
© Rajnish Ranjan
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