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कोई ख्वाब न आये
तुम्हारी अब कोई ख्वाब कोई याद न आये।
मेरी आँखों से कोई बरसात न आये।
तुम्हें मुहब्बत अगर इतना बुरा लगता है तो,
खुदा करे तुम्हें किसी पर प्यार न आये।
मैं चाहूं तो डुबो दूँ या तारूं तुम्हें,
तुम्हारे हाथों में कभी पतवार न आये।
अब अगर जीना है तो जीना है तुम्हारे बगैर,
मगर अब किसी पर एतबार न आये।
© All Rights Reserved
मेरी आँखों से कोई बरसात न आये।
तुम्हें मुहब्बत अगर इतना बुरा लगता है तो,
खुदा करे तुम्हें किसी पर प्यार न आये।
मैं चाहूं तो डुबो दूँ या तारूं तुम्हें,
तुम्हारे हाथों में कभी पतवार न आये।
अब अगर जीना है तो जीना है तुम्हारे बगैर,
मगर अब किसी पर एतबार न आये।
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