...

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जन्मदिन
है जन्मदिन
तू ही है भिन्न
रंगीन ड्रेस में
तू अलग ही वेश में
ढल गया है तू
सिर्फ उसके परिवेश में
विश कर रहे सब तुझको
पर तू ढूंढे है किसको
नज़र तेरी बता रही है
अब सब लोग खिसको
है जन्मदिन
तू ही है भिन्न
ये दिन
होता है कुछ खास
सब नहीं आते रास
उम्मीद होती है कि काश
वो भी आ जाए पास
सरप्राइज दे ऎसा
कि रुक जाए तेरी साँस
है जन्मदिन
तू ही है भिन्न
वो आयी
जैसे छाई
लगा सबको कि वो आयी
पर पता है
मुझे पता है
नफरत का सागर है तुझमे
उसमे
प्यार की धारा है उसमे
भूल जा
तू भूल जा
कड़वी यादें तू भूल जा
छोड़ दे अब ख्याब
जो नहीं होंगे पूरे
मना ले तू ये दिन
आज है तेरा दिन
मत हो तू खिन्न
है जन्मदिन
तू ही है भिन्न











© Abhishek mishra