...

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वो... By- Sagar Raj Gupta (कवि जी )
न जाने किस बात पर बहक रहे हैं वो,
जाड़े में भी सावन बनकर बरस रहे है वो,
एक तरफ मेरी माँ मुझे आशीर्वाद देकर जिंदगी दे रही है
दुसरी तरफ हमारी मौत देखने के लिए तरस रहे हैं वो।...

मेरी पलकों की पालकी में सो रहे थे जो
अब न जाने किस भीड़ में खो रहे है वो
रब ही जनता है क्या शिकवा थी उन्हें हमसे
जो हमें छोड़कर रकीब के हो रहे है वो....

बात अब मेरी समझ न पा रहे है वो
हमें ही अपना न जता रहे है वो
हम तो अब कब्र में ही जी लेंगे
और मेरी जनाज़ा को ही सजा रहे है वो.....

किसी और के प्यार में धस रहे है वो
रकीब से इसकदर फस रहे हैं वो
कल तक जो सबसे बड़े शुभचिंतक थे
आज मेरी मौत पे हँस रहे है वो....

क़लम करके हमारी मोहब्बत को चैन से सो रहा हैं वो
हमेशा के लिए हमसे खो रहे है वो
न जाने कैसी आस है उन्हें रकिब से
जो उसकी यादों को अपने सीने में बो रहे है वो...

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#_अधूरे_अल्फाज़ो_के_शहंशाह__सागर_राज_गुप्ता
#_लफ़्ज़ों_के_बादशाह__सागर_राज_गुप्ता
By- The Sagar Raj Gupta (singer, lyricist, script writer ,poet,shayar,teacher,motivational speaker , logo designer and director and producer of youtube video and short movie ,M.D And Owner of The Sagar's World )

© Sagar Raj Gupta