कन्या भ्रूण हत्या - कोख में न मारो बाबुल प्यारे…
माँ की कोख से एक बेटी की बातचीत अपने पिता के साथ
मैं हूँ लाडली तुम्हारी, कोख में न मारो बाबुल प्यारे।
सृष्टि को रचाने वारी, कोख में न मारो बाबुल प्यारे।
जग में आऊँ, खुशियां लाऊँ,
खुद की किस्मत का खाऊँ।
घर का सारा काम करूँ,
बैठा के खिलाऊँ, पिलाऊँ।
न छीनो खुशियां हमारी, कोख में न मारो बाबुल प्यारे।।
तुम भी इक...
मैं हूँ लाडली तुम्हारी, कोख में न मारो बाबुल प्यारे।
सृष्टि को रचाने वारी, कोख में न मारो बाबुल प्यारे।
जग में आऊँ, खुशियां लाऊँ,
खुद की किस्मत का खाऊँ।
घर का सारा काम करूँ,
बैठा के खिलाऊँ, पिलाऊँ।
न छीनो खुशियां हमारी, कोख में न मारो बाबुल प्यारे।।
तुम भी इक...