...

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सनम
ग़म को ग़म नहीं कहा हमने
तुमको सनम नहीं कहा हमने

ऐसी कोई बात नहीं हुई है
फिर भी रूठी हो
ऐसा कुछ तो नहीं कहा हमने

खुश रहो इसी बात से कि तुम मेरे बिन
रह लेती हो
बेवफा तो नहीं कहा हमने

मैं तेरी खामोशी के साये में ज़िंदगी जी रहा हूं
तुझे गुनेहगार तो नहीं कहा हमने
पल भर की मुलाकात में उलझे हुए
लगता कोई ग़लती कर दी हमने

तुझे देखे बिना अगर ज़िंदगी गुज़र रही है
तो समझ लो बोझ लग रही है
इक नज़र भी नहीं देख सकती
ऐसी भी क्या खता कर दी हमने

जो मजबूरी कल थी वहीं आज भी है
तुम्हें पाने की चाहत कितने सपने संजोए हमने
तुम तो भूल जाना है मुझे यही अच्छा है
मेरी तक़दीर का अच्छा सिला दिया तुमने

गुनेहगार मैं ही हूं
तुम्हें गुनेहगार कहा सबने
तुम्हारी ख़ुशबू फैली हुई हरे भरे लहलहाते खेतों में
जिसे चुरा लिया हमने

दिल धड़कता है तेरा नाम लेकर
कितना इंतज़ार किया तेरा हमने ।
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