# Bare Windows
ज़िन्दगी इक फ़साना बन गयी ,
देखते ही देखते तमाशा बन गयी ,
कल तक किसी को खबर न थी हमारी ,
आज अखबार में छपी इश्तेहार बन गयी ,
किसी का क्या जाता है भला -
लोग शब्दों में दो शब्द और जोड़ देते हैं ,
जिसकी सरेआम रुसवाई हुई ,
उसकी ही तो परेशानी हुई ,...