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लालजी की दुनियाँ और मै
जब आया था तो सफर थोड़ा अंजान था
लालजी की दुनियाँ मे नया मै मेहमान था
सफर आगे बड़ा साथ बड़ी मेरी दिलचस्पी
इस दुनियाँ मे छूट भी थी और साथ थी सख्ती!!

कुछ ऐसे लोग मिले जिन्हे अपनी ओर से जानता हूँ
बो अपरिचित है मुझसे पर मे अपना ही मानता हूँ
ये सफर उनसे दूर था पर साथ बो भी चल रहे थे
रात मेरी तन्हा जरूर है पर दिन इनके साथ ढल रहे थे

भूपेंद्र की विचारधारा हो या धनवीर का बेतुका बयान
ठुकराल का तंज हो या रजत शास्त्री का अपना ज्ञान
उदय गौरव पारस की तिकड़ी भी खींच ही लेती ध्यान
इस दुनियाँ मे हर...