...

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ग़ज़ल

तेरी दुनिया अलग, मेरी दुनिया अलग।
सुख के सागर अलग,ग़म का दरिया अलग।

देखने सोचने में बहुत फ़र्क़ है,
तेरा मेरा बहुत है नज़रिया अलग।

हम हक़ीक़त के पहिये के नीचे दबे,
आपकी ख़्वाब की है नगरिया अलग।

पेट भरते बमुश्किल मजूरी से हम,
आपका है कमाने का ज़रिया अलग।

तेरा मेरा सफ़र मुख़्तलिफ़ है सनम,
अपनी मंज़िल अलग है, डगरिया अलग।

अपनी झीनी सी चादर में पैबंद हैं,
और सतरंगी तेरी चुनरिया अलग।

वक़्त की बेड़ियां मेरे पैरों में हैं,
तेरी बजती ये छमछम पायलिया अलग।
© इन्दु