...

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विवशता

© Nand Gopal Agnihotri
तेरी व्यथा सुनेगा कौन ?
बदनाम हो चुकी तेरी कौम ।
तू शासन करता आया है,
शोषण भी सहता आया है ।
शासन से बदनाम हुआ है,
शोषण चुप रह कर के सहा है ।
सब का बोझ उठाया तुमने,
बिना थके अनवरत चला है ।
सबकी ख्वाहिश पूरी की है,
खुद के लिए बेफिक्र रहा है ।
सास बहू के झगड़े में तू,
किंकर्तव्यविमूढ खड़ा है ।
झूठे केसमुकदमें में भी,
घोषित अपराधी ही हुआ है ।
सबकुछ न्योछावर कर के भी,
आपने आखिर किया ही क्या है ?
व्यंग्य वाण भी खूब सहा है ।