...

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दस्तूरे मुहब्बत
एक गुलाब तेरे नाम का....फिर आज दामन में छुपा रही हूं
दबे– दबे सारे जज्बात....आज फिर से जगा रही हूं
अरमानों के सोपानों पर....एक –एक कदम बढ़ा रहीं हूं
प्रेम भावों से भरी हुई मैं ...सपने नन्हें सजा रही हूं
प्रेम बीजों को धरती में रोप ...रिश्तों की बगिया...