...

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रंगीन कविता
ना जाने क्यों मुझे हरा रंग भाता है
लाल रंग सताता है
गुलाबी सपनों में खो जाती हूं
काली अंधेरी रातों से डर जाती हूं
सफेदी मुझे नहीं भाती
पीले रंग को देखकर हंसी है आती