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रूबरू हकीकत से😊
आज रूबरू हुआ हूं,खुद से,
हकीकत को पहचाना है!
मैं हूं मिट्टी,मिट्टी से मैं हूं....
सोने में कहां अपना ठिकाना है।!!

मैं जर्जर कीड़ा कोई,
तुम जीव में भी मोरनी हो...
मैं बाज सा पंछी कोई...
तुम हंसनी सी प्यारी हो!!

और ये गलती मेरी ही तो है,
चादर से ज्यादा पैर फैलाए हमने!
मालूम होते हुए भी औकात,
दिल बड़ी जगह लगाए हमने!!

इक सिसका हुआ सा जीवन है,
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