...

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शांतिदूत अंगद
सिर पर हाथ रख, प्रभु ने,अंगद को आशीर्वाद दिया।
रामसेना के शान्तिदूत का,अंगद को पदभार दिया।
तर्क-वितर्क का ज्ञान देने को,उसको स्वयं के समीप बैठाया।
रावण के नयन चक्षु खोल,अहंकाररूपी भ्रम हटाने हेतु,
बालक को है लंका पठाया।

शीश नवाँ प्रभु चरण, में अंगद ने प्रस्थान किया।
पहुँच रावण की सभा में,
बड़े ही विनम्र भाव से दशानन,को समझाने
का अथक प्रयास किया।
बालिपुत्र है बड़ा बलशाली,
बीच सभा होकर खड़े,बेझिझक चुनौती दे डाली।
जो कोई बालक का पैर उठाये, सेना सहित राम...