टूट कर बिखर जाओ
सीप की मोती की तरह टूट
कर बिखर जाओ कभी
तो किसी धागे में खुद को
समेट ना लेना ,चाहे कितने
भी लड़खड़ाए क़दम तुम्हारे
पर किसी का सहारा...
कर बिखर जाओ कभी
तो किसी धागे में खुद को
समेट ना लेना ,चाहे कितने
भी लड़खड़ाए क़दम तुम्हारे
पर किसी का सहारा...