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मैं शायर एक आवारा हूं,
मैं शायर एक आवारा हूं,
मैं जंग ए जिंदगी हारा हूं...
फिरता रहता हूं यहां वहां,
बेघर हूं मैं बंजारा हूं...
मैं तुम्हें उजाला क्या दूंगा,
मैं खुद एक टूटा तारा हूं...
जहां कभी रोशनी नहीं हुई,
मैं ऐसा ही अंधियारा हूं...
संसार से क्या लेना देना,
मैं खुद में जहां एक सारा हूं...
जिसे समझ नहीं पाया कोई,
मैं ऐसा एक इशारा हूं...
मत मुझको कभी छेड़ना तुम,
मैं गमों का एक पिटारा हूं...
मैं इस जहां से कभी नहीं झुका,
मैं खुद को तुम से हारा हूं...🖤
© Chiragg
मैं जंग ए जिंदगी हारा हूं...
फिरता रहता हूं यहां वहां,
बेघर हूं मैं बंजारा हूं...
मैं तुम्हें उजाला क्या दूंगा,
मैं खुद एक टूटा तारा हूं...
जहां कभी रोशनी नहीं हुई,
मैं ऐसा ही अंधियारा हूं...
संसार से क्या लेना देना,
मैं खुद में जहां एक सारा हूं...
जिसे समझ नहीं पाया कोई,
मैं ऐसा एक इशारा हूं...
मत मुझको कभी छेड़ना तुम,
मैं गमों का एक पिटारा हूं...
मैं इस जहां से कभी नहीं झुका,
मैं खुद को तुम से हारा हूं...🖤
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