अरज हमारी
यदि शरीर मात्र एक परिधान है
तो जीवन सीमा थोड़े रखना
पर हे केशव ! मेरे स्नेह धागे को
तुम आपस में ही जोड़े रखना
ये वो धागे हैं मीत मेरे !
मेरे मन को जिसने बाँध लिया है
स्नेह अमृत का घूँट पिलाकर
मुझे साँसों का वरदान दिया है
...
तो जीवन सीमा थोड़े रखना
पर हे केशव ! मेरे स्नेह धागे को
तुम आपस में ही जोड़े रखना
ये वो धागे हैं मीत मेरे !
मेरे मन को जिसने बाँध लिया है
स्नेह अमृत का घूँट पिलाकर
मुझे साँसों का वरदान दिया है
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