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सुभाष चंद्र बोस
ज़माने पहले लगभग 135 साल पहले
एक शख्स हुआ करता था
वो औरों से कुछ अलग था
उसकी नाक किसी भी खतरें की
आहट शीघ्र ही सूंघ लेती थी
उनके कदम मंजिल की ओर बढ़ते थे
दिल देश के प्यार में धड़कता था
दिमाग अपने लिए नहीं अपनों के लिए सोचता था
क्योंकि
वो भारत मां की शान था
वो भारत मां का अभियान था
वो गौरव का गान था
वो स्वतंत्रता का आह्वान था
वो सफलता की अर्गला खोलता था
वो हिन्द सैना का प्राण था
वो गाता था जननी जन्मभूमि
स्वर्ग से महान हैं जिसके लिए
तन है धन है मन है और प्राण है
वो चला गया देश को आजाद कराके
वो शख्स चला गया पैगाम ए हिंद देकर
वो शख्स चला गया आने का वादा कर के
पर कभी लौट कर आया न
प्लेन क्रेश हो गया या करा दिया गया
पता नहीं कौन से गुमनाम अंधेरों में खो गया

जय हिन्द
© सरिता अग्रवाल