...

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यही मुझे सिखाया गया
यहीं मुझे सिखाया गया यही मुझे आया हैं,
नहीं सोचा मैंने कभी खुद का बात जब भी

मेरे आन पर आया हैं,एक सीमा तक सहन
किया हर रिश्तों को दिल से निभाया हैं,जब

टूटा दिल तो हमने अपनों को भी ठूकराया हैं,
सम्मान वो शब्द हैं,जो जितना देते उतना

वापस पाते,पर बार बार अपमान करने वालों
का अपमान सहना भी बापू ने नहीं सिखाए,

बेजुबान दुनियां में हम आंखों से किस्से
तराशते हैं,मगर हम ये भूल जाते हैं,जो

हमसे बेइंतहा प्यार करते हैं हम उन्हें ही
ना पहचान पाते हैं,मजबुर हो जाते इतने

इश्क में की सम्मान देने वाले को ठोकर
और बार बार अपमान देने वालों को सिर
पे बिठाते हैं,