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किरदार
अपने किरदार को कुछ ऐसे संवारा करते हैं
अपने साथ हम अब वक़्त गुज़ारा करते हैं
आईने को हम भी देखते हैं तुम्हारी ही तरह
मगर रूप के साथ ही मन को भी निखारा करते हैं
ग़म मिले तो ग़म का भी अब ग़म नहीं होता
कम जो मिले तो हम कम में भी गुज़ारा करते हैं
अमृत मिले अब इसका लालच नहीं हमको
शिव के भक्त हैं ज़हर गले में उतारा करते हैं
© Dolly
अपने साथ हम अब वक़्त गुज़ारा करते हैं
आईने को हम भी देखते हैं तुम्हारी ही तरह
मगर रूप के साथ ही मन को भी निखारा करते हैं
ग़म मिले तो ग़म का भी अब ग़म नहीं होता
कम जो मिले तो हम कम में भी गुज़ारा करते हैं
अमृत मिले अब इसका लालच नहीं हमको
शिव के भक्त हैं ज़हर गले में उतारा करते हैं
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