समय
कब सोचा था कि समय
पंख लगाकर उडता ही चला गया ।
जिंदगी के वो हसीन लम्हे
जाने कब रेत की तरह
हाथो से फिसल गए
हम सपने देखते ही रह गए,
न जाने कब ये जिंदगी की
अपने हाथो से फिसल गई।।
पंख लगाकर उडता ही चला गया ।
जिंदगी के वो हसीन लम्हे
जाने कब रेत की तरह
हाथो से फिसल गए
हम सपने देखते ही रह गए,
न जाने कब ये जिंदगी की
अपने हाथो से फिसल गई।।