*मंहगाई *
सब पे पड़े हे भारी....
ये मंहगाई का डोर।।
अब पैसों का शोर......
होता है चारो ओर।।
ना इसका हो हल.....
ना है कोई छोर।।
सब भागे...
ये मंहगाई का डोर।।
अब पैसों का शोर......
होता है चारो ओर।।
ना इसका हो हल.....
ना है कोई छोर।।
सब भागे...