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तुझसे इश्क़ नहीं मुझे
तुझ से नहीं तेरे हरकतों से मुझे इश्क था,
इंसान चाहे तो जैसा हो पर तेरी मुस्कुराहट से मुझे इश्क था,
तेरे से नहीं तेरी झूठी दिलासों से इश्क था,
हम दोनों कभी जुदा नहीं होंगे इस झूठे वादे से मुझे इश्क था।।

अगर इश्क तुझसे करती तो आज हकीकत जान ली होती,
तुझको मनाते मनाते खुद से ना रूठ गई होती।।

खैर सच तो यह है कि तेरे लिए अश्क तो बहुत बहा चुकी हूं,
जिस कारण अब मुस्कुराना के खयाल से भी अब डरने लगी हूं।।

काश तेरी झूठी मुखौटा से नहीं तुझसे प्यार किया होता,
तेरे झूठे दिलासों के अलावा तेरी हकीकत को पहले जान लिया होता,
तो शायद आज अपने आप से इतना शिकायत ना रहता।।
© shree