चूल्हे की चंदिया
जा बैठ जाता मैं अपनी अम्मा के पास
वो बैठी फूंकनी से आग सुलगाती
गरम गरम रोटियां सेकती
जल जाते उस कोयले से हाथ
फूंकनी से हवा फूंकती
धुंए से आंसू आ...
वो बैठी फूंकनी से आग सुलगाती
गरम गरम रोटियां सेकती
जल जाते उस कोयले से हाथ
फूंकनी से हवा फूंकती
धुंए से आंसू आ...