...

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देश नीति
सदियों तक सिर्फ़ हमे इस्तेमाल किया गया
दिशाहीन पथ पर सिर्फ़ हमें तो चलाया गया।
भ्रम, भय के मकड़ जाल में जकड़ कर तब हमें
पाखंड का सिर्फ़ हमें मूक अनुयायी बनाया गया।
आचार विचार तर्क वितर्क से वंचित रखा गया
कर्म की गति, स्वर्ग नरक से नियंत्रित किया गया।
समाज में निम्नतम स्तर का भाव हमको दिया गया
शिक्षा, दीक्षा, अध्ययन से कोसो दूर किया गया।
इक मसीहा के द्वारा इन बेड़ियों को तोड़ा गया
संघर्ष के बल पर हमे साक्षरता का अवसर दिया।

अब हम तर्क से इस शासन सत्ता से सवाल करेंगे
हमारे समाज के अधिकारों, हक़ की हम माँग करेंगे।
क्रांति के द्वार पर हम निडर होकर ललकार करेंगे
अंतिम तबके तक न्याय पहुँचे यह हम अब माँग करेंगे।
सामाजिक सरसता में हम अपना अब स्थान चुनेंगे
देश के काया कल्प में हम अपना पूर्ण योगदान करेंगे।
दशा और दिशा की पुरातन परंपरा को परिवर्तित करेंगे
सत्य, अहिंसा से आश्वासन के नूतन संदेश सब को देंगे।

संविधान मिटाने की होड़ में जो गुमान से अंधे हो गये हैं
अभिमान, गार्वित गान और स्वार्थ जिनके अस्त्र बन गये है।
आवाज़ बुलंद करने से अब हमको शायद रोक पायेंगे नहीं
अनीति, अनाचार, अत्याचार, निरंकुशता से देश चलेगा नहीं।

© Praveen Yadav @SoulWhispers