तुझे क्या मालूम
तुझे क्या मालूम हम यहाँ कैसे दिल हारे हैं,
कुछ उनकी नजर के आशिक, कुछ हुस्न के मारे हैं
तुझे क्या मालूम.... उनके गुलों पे शोखियां इतनी,
झुकी पलकों पे हया ठहरती है, पलकें गर
उठा दें तो नजारे हैं
तुझे...
कुछ उनकी नजर के आशिक, कुछ हुस्न के मारे हैं
तुझे क्या मालूम.... उनके गुलों पे शोखियां इतनी,
झुकी पलकों पे हया ठहरती है, पलकें गर
उठा दें तो नजारे हैं
तुझे...