" बस यूँ ही "
बस यूँ ही.....
खयालों-खयालों में,
उड़ चला मन मेरा,
अंधेरे से उजियारों में,
लगाकर पंख,
परियों के देश चांद-सितारों में,
जहाँ बस मिले सुकून,
सागर के शांत किनारों में,
और किनारों से दिखने वाले,
मनमोहक नज़ारों में,
बस यूँ ही....
खयालों-खयालों में!
एक दिन जा बैठा ये,
कवियों के मुशायरानों में,
और खो बैठा दिल अपना,
एक लेखक के अरमानों में,
ना पूछो उनका नाम-पता,
वो हैं ऊँचे घरानों में,...
खयालों-खयालों में,
उड़ चला मन मेरा,
अंधेरे से उजियारों में,
लगाकर पंख,
परियों के देश चांद-सितारों में,
जहाँ बस मिले सुकून,
सागर के शांत किनारों में,
और किनारों से दिखने वाले,
मनमोहक नज़ारों में,
बस यूँ ही....
खयालों-खयालों में!
एक दिन जा बैठा ये,
कवियों के मुशायरानों में,
और खो बैठा दिल अपना,
एक लेखक के अरमानों में,
ना पूछो उनका नाम-पता,
वो हैं ऊँचे घरानों में,...