...

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वो शृंगारहीन थी।
वो शृंगारहीन थी
सफ़ेद पोशाक मे ,
आँखो मे काजल नही था ,बस चमक थी l
होठो पर रंग नही था बस महक थी
कोई आभूषण तो नही थे
पर उनमे एक खनक थी l
चहरे पर रूहानियत थी और बातो मे इंसानियत थी
उनके सानिध्य मे एक अजब सा सुकून था
लहज़े मे मौन पसरा था
खुदा की मूरत थी या खुद खुदा थी l

pooja chauhan
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