...

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तेरे बग़ैर...
तेरे बगैर ही तो मुझे सफ़र करना है
मौत को ही मुझे हमसफ़र करना है

क़ज़ा -ए-इश्क़ इस कदर ठहरा है
हर इबादत में उसे कलम करना है

इश्क़ होता है इश्क़ चाहे...