...

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"वक़्त का खेल"


जिनका मुश्किल वक्त में, साया बनकर साथ दिया,
आज वही हँसते हैं, जैसे कोई रिश्ता ही नहीं था।

जब अंधेरों में थे वो, तो हम दिए जलाते रहे,
आज रौशनी में बैठे हैं, और...