बेज़ुबान की कहानी मेरी ज़ुबानी
मेरे अंदर भी भावना थी
मेरे अंदर भी ममता थी
मेरे अंदर तो पल रही नन्हीं सी जान थी
पर शायद यह तुम्हारे लिए बहादुरी की मिसाल थी
जानवर तो मेरी जात थी
फिर क्यों तुमने ऐसी बात की
क्या बिगाड़ा...
मेरे अंदर भी ममता थी
मेरे अंदर तो पल रही नन्हीं सी जान थी
पर शायद यह तुम्हारे लिए बहादुरी की मिसाल थी
जानवर तो मेरी जात थी
फिर क्यों तुमने ऐसी बात की
क्या बिगाड़ा...