पत्थर जिसको इंसान समझा था....
वजूद के लिए जो अब तक लड़ रहा है,
जिसको हर किसीने अलग नाम दिया है,
इंसान समझकर फूल तो हमने बरसाए थे,
पत्थर जिसको इंसान समझ बैठे थे।
जिसको हर किसीने अलग नाम दिया है,
इंसान समझकर फूल तो हमने बरसाए थे,
पत्थर जिसको इंसान समझ बैठे थे।