उम्मीदों की समा
उम्मीद की घड़ियां लगी है अपने दिल पर लग्न की हथकड़ियां लहराता हुआ अरमानों की सर की अपने दिल की खैर उम्मीद अली है मेहनत के आगे अपने कदम बड़ी है बड़ी है अपनी मन की अभिलाषा कुछ कर दिखाने की चंद सी आशा की टूटी टूटीननहीं हसरतें हसरतें आज भी चाहत बरकरार रहा उम्मीद अपने दम पर है कि अपने ही चाहत का दीदार रहा अपने अरमानों से हमको आज भी प्यार रहा प्यार रहा अपने महबूब के खिद्रत से कि आज भी उनका आने का इंतजार रहा लड़खड़ाते हैं वह मुस्कुराते हैं वह मुझको देखकर बल खाते हैं वह कि चांद के चमन में छुप जाते हैं वह आज भी उनका दीदार रहा।
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