...

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कलम
कल तलक मेरे हाथों में थी,
आज मेरी पसंदिदा चीज खो गई है,
कांधे पर सर रख रोने दे न मुझे,
मेरे यारा मुझको तेरी आदत हो गई है ।।

जब उठेगी तू अपने नींद से जागकर,
तू भी कैसे कैसो की अब आदि हो गई है,
तू पछताएगी हर अपने ख्वाब पर,
किसीके घर की अब बर्बादी हो गई है ।।

अब तोड़ता हूं मैं इस खिलौने को,
इस दिल की फनकारी खो गई है,
कल किसी ने मुझसे फोन पे कहा था,
यार तेरी मोहब्बत की अब शादी हो गई ।।

आंसु जम से गए हैं इन आंखों में,
आंखें नींद की अब आदि हो गई है,
लफ्ज लफ्ज पिरो रहा हूं मैं,
मेरी कलम अब जज्बाती हो गई है ।।

अब अगले बरस बैठूंगा मैं भी इस रस्म में,
जैसे तू किसी शाह की शाहजादी हो गई,
तू भी तड़पेगी तरसेगी मुझको,
मेरे चिता की ठंडक अब आधी हो गई है ।।
*NISHANT R PANDEY *