अच्छी नहीं लगती
अब इतनी देर की उनसे जुदाई, अच्छी नहीं लगती,
जमाने की उन बिन रौशनाई, अच्छी नहीं लगती।
खफ़ा इतनी है कि आंखों में सूरमें नहीं लगाती वो,
उनकी खुद से इतनी बेवफाई , अच्छी नहीं लगती।।
सुना है अब हम खास नहीं रहें उनके अहल-ए-महफिल में
उनकी हम से इतनी रुसवाई , अच्छी नहीं लगती।
लोग हंसते है अब मुझ पर, मेरे इन हालातों पर,
कि अब इतनी भी अपनी जगहंँसाई, अच्छी नहीं लगती।।
#dying4her
©AK47
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जमाने की उन बिन रौशनाई, अच्छी नहीं लगती।
खफ़ा इतनी है कि आंखों में सूरमें नहीं लगाती वो,
उनकी खुद से इतनी बेवफाई , अच्छी नहीं लगती।।
सुना है अब हम खास नहीं रहें उनके अहल-ए-महफिल में
उनकी हम से इतनी रुसवाई , अच्छी नहीं लगती।
लोग हंसते है अब मुझ पर, मेरे इन हालातों पर,
कि अब इतनी भी अपनी जगहंँसाई, अच्छी नहीं लगती।।
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