...

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खुद में पहले इंसान ढूंढे
अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे,
जिसको न मिले वही ढूंढे ..

रात आयी है, सुबह भी होगी,
आधी रात में कौन सुबह ढूंढे..

जिंदगी है जी खोल कर जियो,
रोज़ रोज़ क्यों जीने की वजह ढूंढ़े..

चलते फिरते पत्थरों के शहर में,
पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढ़े..

धरती को जन्नत बनाना है अगर,
हर शख्स खुद में पहले इंसान ढूंढे…!!!

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