सोचना पड़ा
देखा जो आज आइना, तो सोचना पड़ा,
जो दिख रहा है सामने, वो क्यूँ उदास है,
नाक़ामियाँ-ज़िल्लत-ओ-ग़ुरबत, बिगड़ा मुक़द्दर,
क्या चीज़ है जो आज नहीं इसके पास है,
आंख इक अश्क़ों भरी है चीज़...
जो दिख रहा है सामने, वो क्यूँ उदास है,
नाक़ामियाँ-ज़िल्लत-ओ-ग़ुरबत, बिगड़ा मुक़द्दर,
क्या चीज़ है जो आज नहीं इसके पास है,
आंख इक अश्क़ों भरी है चीज़...