वसन्त
हे वसंत तू आ जाना,
संग नई खुशियाँ ले आना।
लख-लख तकती सारी अखियाँ,
आ के उनमें समा जाना ।
तरुवर देखें राह तुम्हारी,
कब तुम उन पर आओगे।
कलियाँ कलियाँ हे बेताब,
तुम झलक कब दिखलाओगे ।
उनकी दूर कर बैचेनी,
तन मन को महका जाना।
हे वसंत तू आ जाना ----।
वन उपवन को संगीत भ्रमर से,
शोभायमान तुम होने दो ।
खग वृन्दों के मृदु नव स्वर से,
गुंजायमान तुम होने दो।
प्रकृति के बहुरंगे फूलों से...
संग नई खुशियाँ ले आना।
लख-लख तकती सारी अखियाँ,
आ के उनमें समा जाना ।
तरुवर देखें राह तुम्हारी,
कब तुम उन पर आओगे।
कलियाँ कलियाँ हे बेताब,
तुम झलक कब दिखलाओगे ।
उनकी दूर कर बैचेनी,
तन मन को महका जाना।
हे वसंत तू आ जाना ----।
वन उपवन को संगीत भ्रमर से,
शोभायमान तुम होने दो ।
खग वृन्दों के मृदु नव स्वर से,
गुंजायमान तुम होने दो।
प्रकृति के बहुरंगे फूलों से...