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यादें
तुम ऐसा करो
की लगा दो याददस्त पर पाबंद मेरी
हो गई बहुत यादें तुम्हारी
जो कभी खत्म होती नहीं
आंखे बंद करूं तो दिखते हो तुम ही
और खोलूं अगर आखें तो ये नज़र ढूंढे तुमको ही
हकिकत में न होते हो साथ मेरे
और ख्वाबों के हर एक पन्ने में लिखा है नाम सिर्फ तुम्हारा ही
महसूस करती हूं खुद को कभी बहुत ही बेबस
दूर करना चाहती हूं तुम्हे हर एक याद से
और कैद हो कर रह गई हूं बनाय तुम्हारे यादों में ही।।
© Aaliya
की लगा दो याददस्त पर पाबंद मेरी
हो गई बहुत यादें तुम्हारी
जो कभी खत्म होती नहीं
आंखे बंद करूं तो दिखते हो तुम ही
और खोलूं अगर आखें तो ये नज़र ढूंढे तुमको ही
हकिकत में न होते हो साथ मेरे
और ख्वाबों के हर एक पन्ने में लिखा है नाम सिर्फ तुम्हारा ही
महसूस करती हूं खुद को कभी बहुत ही बेबस
दूर करना चाहती हूं तुम्हे हर एक याद से
और कैद हो कर रह गई हूं बनाय तुम्हारे यादों में ही।।
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