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नाले में गिरी जवानी ✍️✍️✍️
आओ बच्चों तुम्हे सुनाऊँ अद्भुत एक कहानी
पढ़े लिखे शर्माजी की नाले में गिरी जवानी
पढ़े लिखे तो हैं लेकिन हैं अकल से थोड़ा पैदल
रात में एक पौवा न पाएं तो हो जाते हैं बेकल
वैसे तो घर तीन मंजिला पहुंच मगर न पाते
ठर्रा पीते ठर्रा के घरवाले लेकर इनको जाते
पीने में रोशन किया नाम सब इनको कहते टंकी
दारु पी कुत्ता बन जाते सुध न रहती तनकी
बचा न कोई नाला नाली बचा न कोई सीवर
नाले में गाना ऐसे गाते जैसे जस्टिन बीवर
मुख का चुम्बन कूकुर लेते शोभा कही ना जाती
अपने कर्मों से कर देते पिता की चौड़ी छाती
शर्मिंदा सी पत्नी रहती घुटके जीते बच्चे
कभी कभी ऑफिस से आते पहन लोनली कच्छे
कांग्रेस सा हाल बना है कहीं न जाते पूछे
हर दो दिन में हर चौराहे पर ये जाते कूटे
मदिरा सेवन जैसे फैशन करे आचरण गंदे
दो कौड़ी का रहे चरित्तर दो कौड़ी के बन्दे
ओ बनमानुष सुधर जाओ पड़ जाओ कहीं न ठन्डे
चार जने तुमको ले जाएं लाद के अपने कंधे!!!!
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻