बेटियां बोझ नहीं हुआ करती है
बाप का बाज़ू और हिम्मत होती है बेटीयां...
कौन कहता है के बोझ होती है बेटियां...
हर तकलीफ़ में सहारा बनकर खड़ी होती है बेटियां...
दर्द अपने भुला कर फ़िक्र ए वालिद में घुली होती है बेटियां...
जो करे एहसास उसके लिए मुकम्मल जहां है बेटियां...
क्यों करते हो फ़र्क कद में बेटों के बराबर हैं बेटियां ...
सोच बोझिल हो तो बोझ ही नज़र आती है उनको....
तंग नज़र...
कौन कहता है के बोझ होती है बेटियां...
हर तकलीफ़ में सहारा बनकर खड़ी होती है बेटियां...
दर्द अपने भुला कर फ़िक्र ए वालिद में घुली होती है बेटियां...
जो करे एहसास उसके लिए मुकम्मल जहां है बेटियां...
क्यों करते हो फ़र्क कद में बेटों के बराबर हैं बेटियां ...
सोच बोझिल हो तो बोझ ही नज़र आती है उनको....
तंग नज़र...