ये दिल क्या करे
गर फ़लक से सारे सितारे धरा पर उतर आयें।
नूर-ए-महताब ताबनाक चेहरे पर निखर जाए।
महफ़िल में शमा भी फीकी लगने लगे तुम बिन,
चाँदनी रोशनी माँगने खुद चलकर तेरे घर आये।
फ़ना हो न गर तुम पर तो फिर ये दिल क्या करे।
जो...
नूर-ए-महताब ताबनाक चेहरे पर निखर जाए।
महफ़िल में शमा भी फीकी लगने लगे तुम बिन,
चाँदनी रोशनी माँगने खुद चलकर तेरे घर आये।
फ़ना हो न गर तुम पर तो फिर ये दिल क्या करे।
जो...