...

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"तुझमें बस यहीं कसूर है।"
तुझमें बस यहीं कसूर है।
जो तू मुझसे दूर है।
आंखो में बस बरसात है, तेरे यादों की,
जो टूटा है दिल मेरा, उसी टुकड़े का तू नूर है।


तुझे याद करके रोता है दिल मेरा, जो अधूरा हो गया।
थोड़ा सहता है दर्द इन गमों के, जो चोट पा गया।
तेरी तस्वीर देखकर तन्हा रहता है।
कुछ ना कहता है गैरो से, वो खुद सहता है।


तेरे उम्मीद में जीता है और मरता है।
थोड़ी सांसे बाकी हैं उनके, बस चुप ही रहता है।
कुछ सोचकर ना कुछ बोलता है।
बस तेरे ही ख्वाबों में डूबा रहता है।


तड़पता है और सोचता है जुदा क्यों हुए।
अकेला छोड़ कर मुझे दूर क्यों हुए।
जो ना सोचा था इस जिंदगी में, वो कर दिए।
ठुकरा दिया इन राहों में, और मुंह मोड़ लिए।


कैसे बटोरे इन चूर को अपना समझकर।
धोखा मिला है ऐसा मुझसे दूर होकर।
क्यों हुए इतने दूर जो मिल नहीं पाए।
मेरे आंखो में बहते आंसू, अब तो समंदर में डूबा जाए।।
© writer manoj kumar💔😭🖊️