आज़ की बात...
सवेरे 3 बजे बाहर बहुत शांति थी
ना थी पक्षियों को चहल पहल
ना गाड़ियों की गड़गड़ाहट थी
नितांत शांति चारों ओर फैली थी
उस पर हर तरफ़ अंधेरे की कतार लगी थी
उपर से चांदनी ये सब बड़ी बारीकी से देख रही थी
वो चांदनी उस अंधेरे को पार करती करती
कई सारी प्रकाश की अप्रतिम किरणें बना रही थीं
ये सब देखने...
ना थी पक्षियों को चहल पहल
ना गाड़ियों की गड़गड़ाहट थी
नितांत शांति चारों ओर फैली थी
उस पर हर तरफ़ अंधेरे की कतार लगी थी
उपर से चांदनी ये सब बड़ी बारीकी से देख रही थी
वो चांदनी उस अंधेरे को पार करती करती
कई सारी प्रकाश की अप्रतिम किरणें बना रही थीं
ये सब देखने...