बारिश..,
यह गर्मियों के मौसम की पहली बारिश..
पहली-पहली मुहब्बत सी है,
तुम भी यूँ ही आयी थी मेरे जीवन में
जैसे सूखे से मरुस्थल में पानी की बूंदे,
याद है तुम्हें..
वो.. वो चलना तुम्हारे पीछे-पीछे भीगे- भीगे,
अज़ीब सा जनून था वो भी ना..!
आज यूँ ही बैठे बैठे खिड़की से इन बारिश...
पहली-पहली मुहब्बत सी है,
तुम भी यूँ ही आयी थी मेरे जीवन में
जैसे सूखे से मरुस्थल में पानी की बूंदे,
याद है तुम्हें..
वो.. वो चलना तुम्हारे पीछे-पीछे भीगे- भीगे,
अज़ीब सा जनून था वो भी ना..!
आज यूँ ही बैठे बैठे खिड़की से इन बारिश...