"मुखौटे"
लाखों जवानियाँ कुर्बान हो गई हैं,
आज़ादी-ए-हिंद पर।
कईयों को तो कफ़न तक ना नसीब था,
वतन की राह पर।।
आज़ाद-ए-हिंद की डोर,
करके हमारे हवाले तो।
रुसवा हो गईं हर कुर्बानी...
आज़ादी-ए-हिंद पर।
कईयों को तो कफ़न तक ना नसीब था,
वतन की राह पर।।
आज़ाद-ए-हिंद की डोर,
करके हमारे हवाले तो।
रुसवा हो गईं हर कुर्बानी...