...

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ग़ज़ल
नैना उनके कितने चंचल है,
देख कर दिल में हलचल है।

बोले तो कितनी राहत देती,
मिसरी सी गुफ्तगू शीतल है।

सोचें तो महक उठते हैं हम,
ख़ुशबू उनकी जैसे संदल है।

खुले तो काली घटाएं जाए,
जुल्फें जाना मानो बादल है।

रुख़सार है मानिंद गुलाब के,
और जिस्म जैसे मख़मल है।

गमों की तेज़ धूप से बचाए,
ख़ुशी की छांव देता आंचल है।

ज़िन्दगी मौसम-ए-बहार लाई,
उनके पैरों में पहनाई पायल है।


© sheenam


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