...

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अधूरे ख्वाब
मेरे तकदीर में तेरे इश्क़ की नुमाइश ही लिखी थी,
तेरे ख़्वाबो को हकीकत में बदलने की ख्वाईश ही लिखी थी
यूँ तो अपने प्यार को इक मुक़्क़मल अंजाम देने की तमन्ना थी मगर,
ऐ मजहबी मेरे मुरीद ए इश्क़ पे तो वक़्त के नज़रों की साजिश ही लिखी थी!!
© 𝖐𝖎𝖘𝖒𝖆𝖙